शनिवार, 1 अक्तूबर 2022

छुपे हुए दुश्मन को पहचानो!


छुपे हुए दुश्मन को पहचानो!
कहीं वह संत के वेश (भेष) में
शातिराना हरकतें 
तो नहीं कर रहा है?
कर चुका है जनाब!
बेहिसाब !
जिसका आपको अंदाजा भी नहीं है?
फिर क्या करोगे ?
क्या कोई है उपाय,
हैं न क्यों नहीं, क्यों नहीं?
अजर अमर थोड़े हैं।
जैसे हर आतताईयों का अंत
होता रहा है, 
वैसे ही इसका भी
करना होगा काम तमाम।
वरना सब कुछ तहस-नहस कर देगा।
यह नहीं जानता कानून और विधान।
अपराध के खिलाफ गुनाह हो जाता है माफ।
ऐसा देखा है कोई इंसाफ।
हर गुनहगार की सजा प्रकृतया कैसे तय हो जाती है।
इसका किसी को नहीं होता है एहसास।
प्रकृति का नियंत्रण बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।
चतुर सुजान लोग हमेशा प्रकृति के खिलाफ षड्यंत्र करते हैं।
यह जानते हुए भी कि एक न एक दिन उनका खुलेगा रहस्य!
क्योंकि प्रकृति का स्वभाव है
हर अव्यवस्था को व्यवस्थित करना।
चाहे वह धीरूभाई अंबानी हों या आज के अडानी हो।
या उनके सरदार।
- डॉ लाल रत्नाकर

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