वक्त जाते देर नहीं लगती !
एक वक्त ऐसा भी होता है !
जब वक्त गुजरता नहीं।
और एक वक़्त ऐसा भी होता है,
जब वक़्त कम पड़ जाता है
कहते हैं वक्त वक्त की बात है।
कहीं धूप्प अंधेरा हैं ?
कहीं आग की बरसात है।
कहीं जलमग्न और कहीं जनमग्न।
हो गया देश का भू भाग है !
तो कहीं धरम का
कहीं अधरम का व्यापर
और उसी का बाज़ार है।
यही तो वक्त का मिजाज है।
बिगड़ा हुआ समाज है !
या बिगाड़ा हुआ समाज है !
यह कैसा राजकाज है !
यह किसका राजकाज है !
नौटंकी का मिज़ाज है !
-डॉ.लाल रत्नाकर