बुधवार, 10 नवंबर 2010

स्वजातीय

डॉ.लाल रत्नाकर 

बंधू बांधव दुश्मन और दानव 
स्वजातीय तो है 
चमत्कार चीत्कार सम्मान अपमान                                     
अँधा दुराग्रही स्वार्थी पर 
स्वजातीय तो है 
जाती तो आदमी की होती है 
पर स्वजातीय कुत्ते भेड़िये बैल सांड 
इनकी भी तो जातियां है 
स्वजातीय गुंडे चरित्रहीन कलंकित 
अपराधी और दुराचारी 
पर स्वजातीय तो है 
सांप बिच्छू कीड़े मकोड़े 
भालू बन्दर सब स्वजातीय तो है 
जातिवाद क्या स्वजातियता को 
बढ़ाता है जिनको यह रास आता है 
रात दिन इसी का जप करता 
और रट लगाता है
राजनीति में यह स्वजातियता 
अलग तरह से इस्तेमाल में 
लाया जाता या जाती है
पर स्वजातियता का आकर्षण 
आदमी से विरत कराता है 
अतः वे स्वजातीय नहीं है 
जाती से उनका लेना देना 
तभी तक है.
जब तक उससे कुछ वसूल 
होता ही रहे वरना उनके लिए 
जातियां बदल जाती है ,
एक एक जाती का हिसाब 
रखने वाले की जाती का 
आपको पता है यदि नहीं तो 
कागज निकालिए 
रेकार्डर चालू करिए 
मैं आपको वह पता बता रहा हूँ                                                                 
नोट करिए -
भारत का नेता 
ग्राम ओ पोस्ट - पार्टी का नाम 
जिला - सत्तानसीन
प्रदेश - जहाँ भी सत्ता मिल जाए 
देश - बेईमान 
फोन -०९८७६५४३२१०
इ-मेल-जूठफरेब@स्वजातीय .कोम 
यदि इस पते पर मुलाकात 
न हो तो परेशान न हो 
अपने पड़ोस के किसी भी स्वजातीय 
 के यहाँ पहुँचिये और 
उसका पडोसी से डिटेल जानिए 
और पहुँच जाईये 
और बताईये मै 'लट्ठा सिंह'
आपके ससुराल वालों का 
पडोसी हूँ जाती से भी 
और करम से भी 
थोड़ी देर तक रहूँगा और 
सब कुछ सहूंगा तब तक जब तक 
मेरा काम बनता रहेगा 
और तो और अपने                                                                     
स्वजातियों को भी बुलाऊंगा 
बदले में तुम्हारी जाती को 
गरियाऊंगा क्योंकि मेरी जाती मेरा 
स्वार्थ है .
आपने मुझे पहचाना नहीं 
मै ही तो हूँ आगे भी पीछे भी 
और लूट में छूट में पर हाँ 
जब भी आप उसको लतियाने बतियाने 
या झपडियाने आओगे 
तब मै वहां नहीं मिलूंगा 
और मिल भी गया तो शांत रहूँगा 
क्योंकि मेरा काम या मेरी जाती 
स्वजातीय काम के लिए है 
कुजात के किसी काम आना मेरा 
काम नहीं .
आईये मेरे तरीके से चलिए 
मै काफी चीजें हासिल किया हूँ .   
   

कोई टिप्पणी नहीं: