शुक्रवार, 19 अगस्त 2011

आओ एक अन्ना गढ़ें

डॉ.लाल रत्नाकर 
आईये एक अन्ना गढ़ें
ऐसा अन्ना जिसकी भीड़ में 
कोई भ्रष्ट न हो.
या भ्रष्टाचार में लिप्त न हो.
जिनके माता पिता 
पति या पत्नी कभी भ्रष्टाचार
न किये हों या कोई भ्रष्टाचारी 
जिसने उनका साथ न दिया हो
आईये एक अन्ना गढ़ें
सुबह से शाम तक 
मंदिर दफ्तर दुकान पर 
कालेज विश्वविद्यालय और 
कार्यालयों में घोरतम व् आकंठ डूबे हों
''भ्रष्टाचार'' में तलाशते हैं,
और कहीं 
जबकि अपने दामन में
छुपाये हैं
भ्रष्टाचार के अनेकों उत्पाद 
नियुक्तियों के नंबरों के
कोटे और ठेकेदारी के.
आओ एक अन्ना गढ़ें
माटी के, सोने के,
हीरे के, मोती के.
आओ एक अन्ना गढ़ें

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