हिसक हो गयी सत्ता अहिंसा के हथियार से
यह कैसी राजनीति है जिसमें अत्याचार है।
यह कैसा सत्ता का व्यापार के विचार से
हमारी नियति पर अविश्वास करने वाले !
लूट और संविधान का न्याय से अन्याय का !
क्या मतलब होता है राजनीतक विचार में !
बहुरूपिये आ गए हैं पहचान के अंधकार में
जनता को ठग लिया है वाणी के अत्याचार से !
मारकाट कर रहे हैं इशारे पर छुटभैये लूटेरे
सत्ता और मशीनरी का मुह बंद कर दिया है !
घूम रहा दुनिया में कार बार छोड़कर !
बेच रहा देश को व्यापारियों को अपने !
सपने दिखा रहा है रोज़ रोज़ उन सबको
जिनको मरवा रहा है तरह तरह से चुनके !
-डॉ.लाल रत्नाकर
यह कैसी राजनीति है जिसमें अत्याचार है।
यह कैसा सत्ता का व्यापार के विचार से
हमारी नियति पर अविश्वास करने वाले !
लूट और संविधान का न्याय से अन्याय का !
क्या मतलब होता है राजनीतक विचार में !
बहुरूपिये आ गए हैं पहचान के अंधकार में
जनता को ठग लिया है वाणी के अत्याचार से !
मारकाट कर रहे हैं इशारे पर छुटभैये लूटेरे
सत्ता और मशीनरी का मुह बंद कर दिया है !
घूम रहा दुनिया में कार बार छोड़कर !
बेच रहा देश को व्यापारियों को अपने !
सपने दिखा रहा है रोज़ रोज़ उन सबको
जिनको मरवा रहा है तरह तरह से चुनके !
-डॉ.लाल रत्नाकर
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