बुधवार, 30 अक्टूबर 2019

सबको सँवारे रखना !

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जज़्बात संभाले रहना
हमें तो हमारा पता है ।
तुम्हारा तो अहसास ही है
वो हमारा ख़ास नहीं है
तुम अपने सगे संबंधी !
सबको सँवारे रखना !
तूफ़ान से तो बचे रहना ।
हमारा ठिकाना क्या है।
तुमने समझा ही नहीं।
अपने ठिकाने रखना।
गफ़लत मे बहुत कुछ।
निकालने वाले कभी तो
मुक्कमल मुक़ाबले रखना।
लड़ेंगे छल कपट से जब तक।
होशों हवास संभाले रखना।
गिरेंगे एसे एसे मौक़ों पे ।
इनके निज़ाम निगाहों में,
शरम हया दया नहीं रखते।
बस इनकी बहादुरी का ।
अभी भरम पाले रखना।
डॉ लाल रत्नाकर

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