कितने अपराधी मारोगे।
कहां कहां इनको ढूंढोगे।
वह जो जगह-जगह बैठे हैं।
सदियों से पाखंडी अड्डो में।
जमे हुए हैं इसी समाज में ।
आतंकी संभ्रांत बने हुए हैं।
शोभा हैं सत्ता के गलियारों की।
इमान धर्म सब इनके चाकर।
धन दौलत सब हड़प लिए हैं।
नकली संत सब बने हुए हैं।
कितने लंबे हाथ है इनके ।
कैसे पहचानोगे इनको ।
इनकी जात जमात को ।
अब धिक्कारो मक्कारो को।
जागो देखो ये अपराधी हैं।
जो सत्ता हथियाकर बैठा है।
तुमको बहकाकर बैठा है।
तुमको फुसलाकर लूट रहा है।
तेरा भविष्य तेरा सपना।
कहां कहां इनको ढूंढोगे।
वह जो जगह-जगह बैठे हैं।
सदियों से पाखंडी अड्डो में।
जमे हुए हैं इसी समाज में ।
आतंकी संभ्रांत बने हुए हैं।
शोभा हैं सत्ता के गलियारों की।
इमान धर्म सब इनके चाकर।
धन दौलत सब हड़प लिए हैं।
नकली संत सब बने हुए हैं।
कितने लंबे हाथ है इनके ।
कैसे पहचानोगे इनको ।
इनकी जात जमात को ।
अब धिक्कारो मक्कारो को।
जागो देखो ये अपराधी हैं।
जो सत्ता हथियाकर बैठा है।
तुमको बहकाकर बैठा है।
तुमको फुसलाकर लूट रहा है।
तेरा भविष्य तेरा सपना।
---डॉ लाल रत्नाकर
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