वक्त भी गजब का होता है।
एक बार जन्म लेने के बाद।
हर वर्ष उस जन्म को !
याद दिलाता रहता है।
और इसी में साल दर साल
निकलता ही जाता है।
बच्चे जवान हो जाते हैं।
हमारा बूढ़ापा आ जाता है।
जन्मदिन!
को याद करने का
अलग-अलग रिवाज होगा।
मगर यहां।
उस जन्मदिन को
मुबारकबाद कहने का।
चलन आम हो गया है।
जन्मदिन मुबारक हो।
यह भी एक काम हो गया है।
इस वक्त जन्मदिन।
की जिम्मेदारी निभाना।
कितना जटिल हो गया है।
जब कहीं आना जाना।
वास्तव में दुश्वार हो गया है।
पीढ़ियों दर पीढ़ियों।
खुशियों का यह वक्त।
और एक साल बढ़ने का
और एक साल घटने का
जोड़ और घटाना।
जन्मदिन का उपहार है।
जन्मदिन मुबारक।
हार्दिक शुभकामनाएं।
ढेरों सारी बधाइयां।
-डॉ लाल रत्नाकर
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