मंगलवार, 8 दिसंबर 2020

क्या आप को डर लगता है

क्या आप को डर लगता है

डर निकल गया है मन से।

पर बाहर डर मण्डरा रहा है
लेकिन उन्हें डर नहीं लगता
भाई वह मान चुके हैं कि
ईश्वर जो करेगा भला करेगा
ईश्वर पर डालकर निश्चिंत हो गए हैं
अभी यहीं से शुरू होता है
वैश्विक महामारी का खेल
जिसके शुरुआती दौर में
वह बजवा रहा था
ताली थाली और घंटा घड़ियाल
फिर जलवाया मोमबत्तियां
लगा कर के कर्फ्यू !
यही तो आपदा में अवसर है
क्योंकि अस्पताल रेल और
जनता के हित में आने वाली
सारी जिम्मेदारियां
अब कारपोरेट के हाथों में है।
सरकार तो जुमले सुना रही है
घंटा बजवा रही है।
और विदेश से संक्रमण मगा रही है
क्या हो गया है इसे क्या यह देश
नाटक करने का मंच हो गया है
जो झूठा ट्रंप भारत आकर किया
अमेरिका ने क्या दिया।
हमारा चैन लूट लिया।
यही तो आपदा में हो अवसर है।
देशवासियों को क्या हो गया है।
भारत का वैभव कहां खो गया है।
संविधान पर खड़ा होकर चिल्ला रहा है।
पन्ने पन्ने उसका उड़ा रहा है।
मनुस्मृति का राज चला रहा है।
क्या अब भी आपको डर नहीं लगता।
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डॉ लाल रत्नाकर


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