मंगलवार, 12 अक्टूबर 2021

टूट जाते हैं लोग



टूट जाते हैं लोग
मन पर चोट खाने से
न जाने कैसे वे लोग
जिंदा रहते हैं
मन के अंदर एक खूंखार
मन बैठाए रहकर।
जिंदगी नश्वर है
धरती पहाड़ नदियां
सब ऐसे के ऐसे रहेंगे
आज की हालत
कल नहीं होगी यह निश्चित है
क्योंकि जो कल था
वह आज नहीं है।
बड़े-बड़े भू स्वामियों का
राज आज नहीं है।
तुम्हें याद नहीं किया जाएगा
क्योंकि तुम्हारे अंदर
याद करने लायक !
ऐसा कुछ भी नहीं है
जो हवाओं में बसा हो
जिसकी खुशबू फिजाओं में
फैल रही हो।
और वह मदमस्त
सीना ताने अग्रसर हो
उसे कोई भी फिकर ना हो।
पर तोड़ने का तुम्हारा अरमान
चूर चूर हो जाएगा।
जब तुम्हारे सामने
तुम्हारा भीतर का मन
बाहर आकर खड़ा हो जाएगा।
डॉ लाल रत्नाकर

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