बुधवार, 5 जनवरी 2022

नमन आपको।

 


नमन आपको।
आपके स्नेह आपके आदर्श को।
आपके मन आपके तन।
और आपके साहस।
पाखंड के खिलाफ आप की मुहिम।
जिन रास्तों पर चलना,
ही वास्तव में धर्म है।
उससे विमुख होना अधर्म।
आपने वो रास्ता दिखाया,
जो अनंत तक जाता है।
सत्य के रथ पर बैठकर।
अंधभक्त, गोबरभक्त और
नरपिशाच को पहचानने
कि आप की अद्भुत शक्ति।
कहीं नजर नहीं आती।
चापलूस और चमचागिरी
सत्य की शक्ति के खिलाफ
एकजुट खड़ी हो गई हो
जिसकी आपने कभी भी
फिक्र नहीं की।
आप दाता थे ज्ञान के।
आप दुश्मन थे अज्ञान के।
आप मित्र थे सत्य के।
और दुश्मन असत्य के।
जो भी आप के समीप आया।
बहुत कुछ पाया।
कुछ तो मन से अपराधी भी थे।
आप जानते हुए भी उन्हें।
उसी तरह उनको अच्छी राह पर चलने का।
निरंतर संदेश देते हुए।
उनके भी सम्मान को निभाया।
मुझे नहीं पता।
मैं क्या लिख रहा हूं।
लेकिन मैं यह जानता हूं कि
जो कुछ लिख रहा हूं।
उस पर आप जरूर नाराज होते।
क्योंकि आपकी आदत में
जो कुछ था वह इस दुनिया में
विश्वास के साथ सत्य।
और असत्य को
नीर क्षीर के समान।
अलग अलग करता रहता था।
नमन आपको।
- डॉ लाल रत्नाकर

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