झूठ को सच में बदलने की कला
सीखे कहां से बेहतरीन!
हम सीख लें हमको जरूरत है कहां।
आप ही को मुबारक हो महारत आपकी!
बाप की या आपकी इज्जत करुं,
जिसने सिखाया सत्य की राह को!
उस पर चलने के लिए !
दो पांव जिसने भी दिए।
गांव के हों या हो नगरीय वाश के !
सबका यह देश है बराबर अभी !
भक्त हैं एक नई खोज किस ब्रह्मांड के,
जो नफरत के रक्त से रंजीत हैं!
अस्त्र शस्त्र से सुसज्जित हैं!
त्रिशूल बांट बांट कर सूल तो फैला दिए।
ढूंढिए उनको जरा वह कहां गए।
चरितार्थ होती दिख रही है !संतों की वह वाणियां !
"जो तोंको कांटा बोए, वाको बोऐ तू फूल!"
जीवन भी है यह धूल!
भक्त इसे ना भूल!
हम सिख लें हमको जरूरत है कहां।
झूठ को सच में बदलने की कला !
सीखे कहां से बेहतरीन!
हम सीख लें हमको जरूरत है कहां।
आप ही को मुबारक हो महारत आपकी!
बाप की या आपकी इज्जत करुं,
जिसने सिखाया सत्य की राह को!
उस पर चलने के लिए !
दो पांव जिसने भी दिए।
गांव के हों या हो नगरीय वाश के !
सबका यह देश है बराबर अभी !
भक्त हैं एक नई खोज किस ब्रह्मांड के,
जो नफरत के रक्त से रंजीत हैं!
अस्त्र शस्त्र से सुसज्जित हैं!
त्रिशूल बांट बांट कर सूल तो फैला दिए।
ढूंढिए उनको जरा वह कहां गए।
चरितार्थ होती दिख रही है !संतों की वह वाणियां !
"जो तोंको कांटा बोए, वाको बोऐ तू फूल!"
जीवन भी है यह धूल!
भक्त इसे ना भूल!
हम सिख लें हमको जरूरत है कहां।
झूठ को सच में बदलने की कला !
डॉ लाल रत्नाकर
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