सृजन के सवाल को
समझने की जरूरत है।
कला का कौशल हो,
कविता के रूप में !
मन को भी भाता हो,
आनंद प्रदान करता हो।
रचना हो, संरचना हो।
सब अभिव्यक्ति ही तो है।
आईए हम स्वागत करें,
नए प्राकृतिक दृश्य का !
अदृश्यमान दृश्य का।
सम्मान हो अभिमान हो।
ज्ञान का गुणगान हो।
भाव का बखान हो।
मन मचलता हो अगर तो,
पहुंच भी आसान हो।
-डॉ लाल रत्नाकर
कला का कौशल हो,
कविता के रूप में !
मन को भी भाता हो,
आनंद प्रदान करता हो।
रचना हो, संरचना हो।
सब अभिव्यक्ति ही तो है।
आईए हम स्वागत करें,
नए प्राकृतिक दृश्य का !
अदृश्यमान दृश्य का।
सम्मान हो अभिमान हो।
ज्ञान का गुणगान हो।
भाव का बखान हो।
मन मचलता हो अगर तो,
पहुंच भी आसान हो।
-डॉ लाल रत्नाकर
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