बुधवार, 7 जुलाई 2010

क्यों लाले पड़ते है?

डॉ.लाल रत्नाकर


क्यों लाले पड़ते है 
कभी सोचा आपने 
नहीं 
तो भूखे मरो
मारने के लिए 
तुम्हारे नेता 
इंतजामात कर रहे है 
बड़े बड़े पार्क 
और मूर्तियाँ गढ़ा रहे है 
क्योंकि पूजा तो पूजा होती है 
पत्थर की हो 
अनगढ़ हो या गढ़ा हुआ 
होता तो पत्थर ही है ,
गणेश हो या गौतम बुद्ध 
अम्बेडकर बाबा या माया हों.
अब तोड़ो या छोड़ो 'मूर्तिपूजा'
ये लौह की भी है,
है भी तेरी.
इनके प्रसाद पर 
अधिकार नहीं तेरा,
मुझको मूरत और सूरत 
से कोई दरकार नहीं ,
दुर्गा काली शंकर 
सब कौन कहाँ इनके कुल का 
कोई लेता हिसाब है,
सब का मालिक 
केवल 'द्विज' है 
बनवाओ स्मृति स्थल 
इनका करो लोकार्पण 
रख लो रखवाले 
पर मालिक तो हम है 
आज तुम्हारा राज 
पर कल मेरा है.


क्यों लाले पड़ते है 
कभी सोचा आपने 
नहीं 
तो भूखे मरो
मारने के लिए 
तुम्हारे नेता 
इंतजामात कर रहे है.  

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