से.रा.यात्री प्रख्यात साहित्यकार |
देशद्रोह के मायने
जो हमें बताये गए थे
वो पुराने पड़ गए है,
आजकल देशप्रेमी
वो गए है जो कभी
देशद्रोही कहे जाते थे .
कहाँ से शुरू किया जाय
इनका आख्यान
चलिए आज़ादी के बाद से .
आज़ादी कि लडाई में
गोरों को भगाने के लिए
लोगों ने जान दे दी.
गोरे कहाँ गए पर
जो नये अंग्रेज आ गए
उनके जाने के बाद .
क्या इन्ही नए आये
अंग्रेजों कि औलादों ने
शुरू किया है नया 'देशप्रेम'
जिस देशप्रेम में
एक जाति को जातिवाद
करने कि पूरी आज़ादी है
पर दूसरी जाति या जातियों
को पाबन्दी क्यों ?
यह सवाल नहीं है उत्तर के लायक .
इसमे नए राष्ट्रप्रेम
का मामला बिगड़ने का
निरंतर डर बना रहता है .
क्योंकि देशप्रेम का
नया फार्मूला आयातित है
से.रा.यात्री प्रख्यात साहित्यकार |
फूलप्रूफ देशप्रेम में
कोई दोष नहीं है, कमीशन
खाने का होश नहीं है .
सारा सौदा इस तरह
से तय किया गया है जिसमें
विरोधियों को भी हिस्सा दिया गया है.
देशप्रेम के पुराने फार्मूले को
जड़ से उखाड़कर फेंक दिया गया है
यदि उसका इस्तेमाल किसी ने
भूल से भी किया
तो नए कानून के तहत
जेल भेज दिया जायेगा .
यदि गलती से किसी
स्वजातीय ने ऐसा कर
लिया तो उसे 'पुरस्कृत' करके
फिर नए देशप्रेम का अर्थ
समझाया जायेगा
समझ गया तो उपहार स्वरुप
कुछ न कुछ दिया ही जायेगा
वह 'इनाम' भी हो सकता है या
जिसे पुरुष्कार कहा जायेगा !
देश और इससे द्रोह करने
का नया मानदंड भी आयत
किया गया है .
जिसमे गुलामी के समय वाले दंडों
का नए निजाम द्वारा इंतजाम किया गया है
इसलिए हमारे और तुम्हारे देश का.
अंतर समझ आएगा
यदि इस देश में रहना है तो
गधे को ही 'बाप' कहना है .
देश द्रोही बनने के करम
हैं कि पुरानी आदत छूटती नहीं
राष्ट्र प्रेमी बने रहने की.
चलिए एक सेमिनार
करते हैं किसी 'मगनी' के 'मंच'
से की देश द्रोही कौन है .
इसमें जरूरत पड़ी तो
कुछ और 'विषय' लिए जा सकते हैं
जातिवादी या जातीद्रोही कौन है.
यदि मौका लगा तो इसमे
अपने अपने तरह के लोग बुलाएँगे
जिनसे अपने मुद्दों पर सहमति बनायेंगे.
जिससे देशद्रोह के अलग अलग
मायने गढ़े होने के हमारे पुराने 'मन्त्र'
कटघरे में न आ जाएँ .
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