मंगलवार, 13 अक्तूबर 2015

अच्छे दिन !

ये सब अच्छे दिनों के लिये हो रहा है!
अच्छे दिन आते ही मोदी जी ईश्वर की तरह
विलिन हो जायेंगे या ब्रह्मलीन हो जायेंगे या
गुजरात चले जायेंगे, अच्छेदिन की याद में !
न किसी की आवाज़ निकलेगी न ही शोर होगा
केवल और केवल पाखंड का मेला होगा !
राष्ट्रभक्तों के पास चाय वाला चेला होगा !
नेता के रूप में अकेला होगा, दलित और दबा कुचला होगा !
कितना अच्छा होगा! नेताओं का परिवार या जेल में होगा या
नज़रबंद होगा ? क्योंकि उनकी नज़रें आम पर नहीं ख़ास पर
ही जाने लगी हैं।
ये ख़ास भी मोदी के होंगे जिन्हें ख़रीद लिया जायेगा।
किसी व्यापारी द्वारा सभी अख़बारों की तरह !
या न्यूज़ चैनलों का मुँह मोड़ दिया जायेगा उसकी गिडगिडाहट की तरफ़!
समाजवाद को पूँजीवाद में बदलने के हर हथकंडे जिसने आज़म माया !
उसे पूँजीवाद निगल जायेगा।
कालिख वे नहीं पोतेंगे ये कालिख पोतकर ख़ुद ही चले जायेंगे।
डर से नहीं प्रेम से अपने और अपनों को बचाने के लिये?

@ रत्नाकर

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