बुधवार, 25 अक्तूबर 2017

अड़के ! मिठास घोलता है।

चित्र : डॉ.लाल रत्नाकर
(डिजिटल स्केच)

उसको उम्मीद है कि हम उसे भुला देंगे।
हमारा मानना है कि उसको हमें याद रखना है।
उसको नफरत है इस बात की कि हम ,
उसपर और उसकी बात पर भरोसा नहीं करते।
क्योंकि ?
उसकी फितरत में जहर इतना ज्यादा है।
वह हर बात में बेबात में ज़हर घोलता है।
उसकी आदत  है ?
शहर भर में बेबात का बतंगड़ है।
कि वह अडियल है और 
अड़के ! मिठास घोलता है।
-डा. लाल रत्नाकर

कोई टिप्पणी नहीं: