बुधवार, 1 जुलाई 2020

जो सत्ता में बैठे।

राज्य के विस्तार के लिए 
रात दिन एक करने वाले।
जो सत्ता में बैठे।
उनको कहां खबर है।
हमारी अवाम को।
क्या क्या हुआ है।
पता भी नहीं कारण क्या है।
वही हैं वह लोग ?
जो सोचते नहीं।
और तो और उल्टे !
भक्ति भाव में लीन हैं।
और वे तल्लीन है।
अपराध भी संगीन है।
संविधान गमगीन है।
विचारों से जो हीन है।
कह रहा है गमगीन है।
-डा लाल रत्नाकर 

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