पत्थर दिल भी पिघलेंगे,
जब हम मिल बैठेंगे !
पैठेंगे दिल में दिल से
तब बात बढ़ेगी आगे
नियति ठीक हो निति सही हो
तब निपटेगा लोभ घटेगा।
मोह छँटेगा मन से।
जीवन ही जीवन है
लूट नहीं है जीवन।
त्याग है मूल मंत्र।
त्याग समझना होगा।
समझना होगा अपना अधिकार।
पत्थर दिल भी पिघलेंगे,
जब हम मिल बैठेंगे !
- डॉ लाल रत्नाकर
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