जिन्हें नाज़ है हिंद पर वो कहां है ?
कहां है वे झूठे, नफरती कहां है।
कहां है वह धोखे और वादे कहां हैं।
कहां है वे नोटें और नौकरियां कहां है।
जिन्हें नाज है इन पर अब वो कहां हैं।
कहां हैं वो जुमलों का बाजीगर कहां हैं।
कहां है वह शोहरत, अपनापन कहां है।
नफरत की दुनिया मैं दौलत है हावी।
कहानी है फिल्मों में जीवन से आई।
-डा लाल रत्नाकर
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