शुक्रवार, 11 जून 2021

देश उतना ही हमारा है जितना तुम्हारा है

 


जिस दुख दर्द को जनता ने सहा है,
सरकारें मौन है और बहाने भी नहीं है।
जाहिलियत औ धर्म का यह घालमेल है,
विज्ञान इस समय में क्यों करके फेल है।
पाखंड और झूठ का यह घालमेल है,
तभी तो आज विज्ञान यहां फेल है।
निज दुख का कोई ठिकाना नहीं यहां,
सरकारी अस्पताल में इंतजाम है कहां।
आयुष्मान भारत ने मार डाला है,
हजारों लाखों करोड़ों में यहां,
बनियों के हाथ में जिंदगी कहां सुरक्षित
कौन-कौन अस्पताल हैं आयुष्मान में।
डिजिटल दवाइयां नहीं है सुलभ,
आत्मनिर्भर भारत के डिजिटल जहां में।
क्रूरता में करुणा का अजीब चलन है,
आपदा में अवसर के हम विश्वगुरु हैं।
वोट ले लिया फिर नोट ले लिया,
ठग तो सुने थे हमने,अब देख भी लिया।
घर घर पहुंच गया है संदेश यह न्यारा,
न्यायालयों में जाएगा कैसे कोई बिचारा।
आओ उठो एक बार इंसाफ के लिए,
झूठों के जुमले और अत्याचार के लिए।
देश उतना ही हमारा है जितना तुम्हारा है
सहना नहीं है कुछ भी अत्याचार के लिए
डॉ लाल रत्नाकर

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