दहशत भी कोई चीज होती है।
धर्मांधता की हो या जातिवाद की।निरंकुशता की हो या आतंकवाद की।
दहशत भी कोई चीज होती है।
कितना भी बड़ा दहशत गर्द हो।
आमना सामना हो तो यह तय हो जाता है।
डरने से काम नहीं चलेगा।
मुकाबला तो करना होगा।
दहशतगर्द कोई अलग तरह का जीव नहीं है।
वह भी इसी संसार का प्राणी है।
फर्क इतना है कि वह आतंक का सहारा लेता है।
और आप उसके आतंकवाद से डर जाते हो।
दहशत मुकाबले से खत्म हो जाती है।
दहशतगर्दी की इंतहा का भी अंत हो जाता है।
दहशतगर्द जब मुकाबले में आ जाता है।
क्योंकि दहशतगर्दी कोई पवित्र मार्ग नहीं है।
डॉ. लाल रत्नाकर
धर्मांधता की हो या जातिवाद की।
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