मंगलवार, 26 अप्रैल 2022

बाकी नहीं है कुछ कहने को।



अजीब दास्तां है।
देश के पास एक भी
हवाई जहाज नहीं है।
परंतु एक है जो !
उनका है जिन्हें हमने।
उनके जुमले में फंस कर।
देश की सत्ता दी है।
उन्होंने ऐसी खुशहाली दी है
आज आपदा में,
अवसर की तलाश कहां से हो।
मुझे याद है बचपन में
साइकिल की सवारी करना
कितना मुश्किल काम था
जब साइकल आई तो
मोटर साइकिल की सवारी 
करना कितना कठिन काम था
मोटरसाइकिल आई तो
कार की सवारी करना 
कितना मुश्किल काम था।
परंतु हवाई जहाज ?
नहीं खरीद सकता था।
मौका लगा तो 
जहाज खरीद लिया।
लेकिन इसका उपयोग।
आपदा में फंसे लोगों को,
चढ़ने का अवसर नहीं देगा।
रामराज्य का 
इससे बढ़िया उदाहरण।
कहां मिलेगा।
विचार करने की जरूरत नहीं है
लोकतंत्र में ऐसा उदाहरण
और किस मुल्क में मिलेगा।
रसिया ने अभी जारी किया था
अपने राष्ट्रीय नीति का फरमान
सारी संस्थाओं का जो कर रहा है
खुल्लम खुल्ला अपमान।
हमें तैयार रहना चाहिए।
सब कुछ सहने को।
बाकी नहीं है कुछ कहने को।
बाकी तो आप खुद समझदार हैं।
यूक्रेन में फंसे,
भारतीय और विद्यार्थी।
कितने लाचार हैं।

-डॉ लाल रत्नाकर





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