गुरुवार, 29 सितंबर 2022

मेरे दोस्त!



मेरे दोस्त!
कितने सम्मानित हो चुके हो ?
अपमान के नीचे सत्ता पाकर,
सत्ता का मतलब सदियों सदियों से
बदल तो नहीं गया है,
तुम्हें सम्मानित करके
पूरे समाज को अपमानित करने का
रिवाज बदल तो नहीं गया है।
विचार करना अकेले में बैठ कर
चमचों और चापलूसों से निकलकर
कि कितने अपमानित हुए हो
और कितने सम्मानित हुए हो।
मैं जानता हूं कि तुम नहीं निकलोगे
क्योंकि तुम्हें उसने फसा दिया है
ऐसा माल तुम्हारे घर में भिजवा दिया है
जिस पर ईडी सीबीआई और इनकम टैक्स
से जब चाहेगा तब तुम्हें।
पकड़ लेगा और कारागार में डाल देगा।
यह तो पहले भी होता रहा है।
लेकिन इस निजाम में।
सम्मान को अपमान में बदल दिया गया है
तुम्हें कुर्सी देकर तुम्हारा और तुम्हारी 
पिढि़यो का संवैधानिक अधिकार ले लिया है।
मेरे दोस्त विचार करना।
बहुजन समाज में पैदा होकर।
सर्वजन में बैठकर बहुजन का संहार करना।
तुम्हें कितना अच्छा लगता है।
- डॉ लाल रत्नाकर

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