हमने प्रतीकों का भरपूर
इस्तेमाल किया !
अपने मिशन के लिए।
कुछ भी नहीं छोड़ा ?
जिसको हमने अपने,
पाखंड से ना हो जोड़ा !
दलित, पिछड़े, नारी,
पशु पक्षी, पेड़, पत्थर, गोबर!
पशुबलि, मानवबलि,
यह कौन सा धर्म है!
छुआछूत, भेदभाव, अखंड पाखंड,
चमत्कार और अंधविश्वास?
प्रतीकों के लिए तरह तरह के रूप !
भक्त पर अधिकार नहीं !
यही ब्राह्मणवाद है!
जो प्रतीकों पर आधारित है।
सत्य से दूर बहुत दूर।
असभ्य और असत्य पर सवार!
जिसने प्रतीकों का भरपूर
इस्तेमाल किया !
इस्तेमाल किया !
अपने मिशन के लिए।
कुछ भी नहीं छोड़ा ?
जिसको हमने अपने,
पाखंड से ना हो जोड़ा !
दलित, पिछड़े, नारी,
पशु पक्षी, पेड़, पत्थर, गोबर!
पशुबलि, मानवबलि,
यह कौन सा धर्म है!
छुआछूत, भेदभाव, अखंड पाखंड,
चमत्कार और अंधविश्वास?
प्रतीकों के लिए तरह तरह के रूप !
भक्त पर अधिकार नहीं !
यही ब्राह्मणवाद है!
जो प्रतीकों पर आधारित है।
सत्य से दूर बहुत दूर।
असभ्य और असत्य पर सवार!
जिसने प्रतीकों का भरपूर
इस्तेमाल किया !
-डॉ.लाल रत्नाकर
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