बहस तो हो पर !
ईमानदार बहस हो!
बहस में विचार हों।
ना की तिकड़म और प्रचार हो।
सत्य का आगाज हो।
विज्ञान का सिद्धांत हो।
ना अंधविश्वास हो।
ना पाखंड का साम्राज्य हो।
धर्म कर्म ज्ञान और अज्ञान का।
लेखा-जोखा हो।
झांकिये तो अपने अंदर।
जहाँ दूषित न विचार हो।
आईए खुली बहस करें।
बहस में विचार हों।
ना की तिकड़म और प्रचार हो।
सत्य का आगाज हो।
विज्ञान का सिद्धांत हो।
ना अंधविश्वास हो।
ना पाखंड का साम्राज्य हो।
धर्म कर्म ज्ञान और अज्ञान का।
लेखा-जोखा हो।
झांकिये तो अपने अंदर।
जहाँ दूषित न विचार हो।
आईए खुली बहस करें।
भेदभाव से परे - कुतर्कों से दूर
यदि है यह शर्त मंजूर
फिर स्वागत है आपका
और हम आपका आदर करें।
और हम आपका आदर करें।
-डॉ लाल रत्नाकर
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