झूठ के साथ
उसके गंदे हाथ
मुंह नहीं छुपा रहा है
क्योंकि वह जानता है
कि वह विश्वगुरु नहीं।
झूठ और जुमले,
सुना रहा है।
इसके समर्थक भी है
जो बहुत ऊंचे पदों पर बैठे हैं
और उनके लोग नीचे तक
फैले हुए हैं गली गली में,
कथाकर के रूप में,
भ्रष्टाचार के सबूत के साथ।
मगर मान नहीं रहा है।
न्याय को अन्याय बता रहा है।
फिर भी वह न्याय न्याय चिल्ला रहा है।
आश्चर्य होता है वह जनता को
कैसे वह मुंह दिखा रहा है,
चुल्लू भर पानी नहीं पा रहा है.
उसके गंदे हाथ
मुंह नहीं छुपा रहा है
क्योंकि वह जानता है
कि वह विश्वगुरु नहीं।
झूठ और जुमले,
सुना रहा है।
इसके समर्थक भी है
जो बहुत ऊंचे पदों पर बैठे हैं
और उनके लोग नीचे तक
फैले हुए हैं गली गली में,
कथाकर के रूप में,
भ्रष्टाचार के सबूत के साथ।
मगर मान नहीं रहा है।
न्याय को अन्याय बता रहा है।
फिर भी वह न्याय न्याय चिल्ला रहा है।
आश्चर्य होता है वह जनता को
कैसे वह मुंह दिखा रहा है,
चुल्लू भर पानी नहीं पा रहा है.
-डॉ लाल रत्नाकर
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