डॉ.लाल रत्नाकर
जो उनकी बात समझते है
नयी पीढ़ी को ज्ञानी नहीं
बेईमानी की नीति सिखाते है
धन धान्य रहोगे यदि तुम तो
दिक्कत नहीं कहीं आएगी
पर रूपया पैसा यदि नहीं रहा
दर दर की ठोकर खायोगे
इसलिए उपाय बताता हूँ
उनको बेईमान नहीं कहना
जो पैसा लेकर काम करें
उनको कहना ये साहब तो
अच्छा है पैसा लेता है पर
गारंटी से काम कराता है .
चोरी करो काटो पैसा
लूटो सबको खूब कमाओ
जब गयी जमीं तुम्हारी हो
जब वह वापस न आएगी
तो जीने की राह कहाँ होगी
इसलिए उपाय सही है यही
जिसमे दौलत वह काम सही
व्यापर कभी था बनियों का
अब जाति कहाँ व्यापारी की
बनिया मारत रहता था
साहूकारी की नीति उधारी में
उसके खिसियाये अहलकार
जो अब सत्ताधारी है
इनकी जैसी वसूली है
साहूकारी भी शर्म करे
पर सत्ता के गलियारों में
इसकी ही नियति भारी है
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