हवाओं में तुमने जो खुशबू बिखेरी।
वही अब महकने चमकने लगी है ।
जिसने भी तुम पर भरोसा किया ।
उसी को समेटे लपेटे चपेटे हुए हो ।
कहां पटकनी दे के मारोगे उसको।
खबर उसकी आने की नौबत नहीं है।
जिसने भी तुम पर भरोसा किया ।
उसी को समेटे लपेटे चपेटे हुए हो ।
कहां पटकनी दे के मारोगे उसको।
खबर उसकी आने की नौबत नहीं है।
चलो साथियों मिलकरके हमसब ।
उससे बचा लें मुलुक और तुमको !
गफलत में मारे गए हो सभी जन !
भक्तों को उस पर भरोसा बहुत है !
पाखंड का जो पुरोधा है बनकर ।
वतन बेचने को निकला है तनकर ?
चमन बेच देगा वतन बेच देगा।
शातिर बहुत है वह धर्म बेच लेगा।
उससे बचा लें मुलुक और तुमको !
गफलत में मारे गए हो सभी जन !
भक्तों को उस पर भरोसा बहुत है !
पाखंड का जो पुरोधा है बनकर ।
वतन बेचने को निकला है तनकर ?
चमन बेच देगा वतन बेच देगा।
शातिर बहुत है वह धर्म बेच लेगा।
कुर्सी रही तो बहुत कुछ करेगा ।
वादे पे वादे वह तो झूठे ही करेगा।
हवाओं में तुमने जो खुशबू बिखेरी।
वही अब महकने चमकने लगी है ।
वतन लूटने की नियत अब तुम्हारी।
हर एक को अब चुभने लगी है।
वादे पे वादे वह तो झूठे ही करेगा।
हवाओं में तुमने जो खुशबू बिखेरी।
वही अब महकने चमकने लगी है ।
वतन लूटने की नियत अब तुम्हारी।
हर एक को अब चुभने लगी है।
-डा.लाल रत्नाकर
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