युद्ध की अंतिम घडी है
तय करो किस ओर हो तुम !
हो वहां जहाँ विनाश का साम्राज्य है
या विध्वंशक के साथ हो !
तुम अभी सोये हुए हो
या खड़े हो नींद से तुम जागकर
है तुम्हारी भूख शायद जो अभी पूरी नहीं
या की तुम हो किसी प्रतिघात में !
हारते ही हारते तुम जा रहे हो !
या तुम्हारा क्रोद्ध उतरा ही नहीं है
जातियों के संगठित प्रतिघात से
या समय की साख पर लटके हुए हो !
युद्ध किससे लड़ रहे हो
या अभी लड़ते हुए तुम सो रहे हो
आत्मा-परमात्मा के द्वन्द में
या खड़े हो पाखंडियों के मध्य में !
युद्ध की अंतिम घडी है
तय करो किस वोर हो तुम !
हो वहां जहाँ विनाश का साम्राज्य है
या विध्वंशक के साथ हो !
-डॉ लाल रत्नाकर
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