गुरुवार, 25 अक्तूबर 2018

लुटेरे !





दिख रहे है सन्त जैसे !
लूटकर यह देश को !
बहुरूपिये !
पहचानो इन्हें !
झूठे और मक्कार हैं!
पकड़ो इन्हें यह भाग जायेंगे !

लोकतंत्र के कलंक हैं यह !
पाखण्ड के पुतले हैं यह !
झूठ और जुमलों के पुल !
बॉध रहे हैं गंदी ज़ुबान से !
भगवान और शैतान की तरह !
क्या लगते हैं इंसान यह !
बेईमान बेईमान कह रहे हैं !
बेईमानी ही तो कर रहे हैं !

दौड़ाओ नही तो यह भाग जायेंगे !
अमन चैन सम्पत्ति सबको लूटकर !
क़ानून का चोंगा पहनकर बहुरूपिये !
सेंध ही तो मार रहे हैं !
कह रहे व्यापारी हैं यह हमारा काम है !

दिख रहे है सन्त जैसे !
लूटकर यह देश को !
बहुरूपिये !
पहचानो इन्हें !
झूठे और मक्कार हैं!
पकड़ो इन्हें यह भाग जायेंगे

-डॉ.लाल रत्नाकर "


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