शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2019

हमारे बुढ़ापे का सहारा


हमारे बुढ़ापे का सहारा
तुमने तोड़ दिया हमें छोड़ दिया
तुम्हारी बोलियां तुम्हारी गोलियां
मेरे काम की नहीं रही।
ठगहारे तुम्हारा स्वभाव नहीं बदला
हमारी दुनिया बदल गई
पहले गरीब की थी
अब बे सहारे की हो गई।
चलो आओ ?
हम तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं
अबकी तुम्हारा हिसाब करना है
उसी तरह से जैसे जैसे तुमने
मेरा जीवन बर्बाद किया है।
तुम ठग तो नहीं हो !
और लुटेरे भी नहीं हो !
चोर कहना चोर का अपमान है!
मैं नहीं कहता वह बेईमान है।
जग जान गया है,
तू कितना महान है ?

-डॉ लाल रत्नाकर 

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