शनिवार, 2 फ़रवरी 2019

सपने नहीं झांसा है !

वह सपने दिखाकर आया था ?
जो नहीं बन पाए मेरे अपने।
वह सौदागर था सपने बेच लिया ?
हम गरीबों को फिर से लूट लिया।
हमें क्या पता था कि इसके सपने !
सपने नहीं झांसा है ! 

और जो इसका पेशा है।
वह पेशेवर था कर गया पेशा ?
जमा पूंजी को भी लूट लिया ।
कितनी कितनी तरकीबें करके ।
उसके सपने जरूर पूरे हो गए ।
हमारे टूटे हुए सपनों के बदले।


-डॉ लाल रत्नाकर 

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