हमें हमारे इतिहास में,
कहां रखा गया है पता है ?
नहीं यह बात किसी को पता नहीं है।
क्योंकि इतिहास बनाने का अधिकार।
जिन्हें है उन्होंने हमें इसके काबिल
कभी नहीं समझा ?
फिर जो इतिहास में पढ़ रहे हैं,
वह किसका इतिहास है।
जो आजकल इतिहास गढ़ रहे हैं।
जी हां इतिहासकार जो देख रहे हैं।
जरूरी नहीं कि उसे इतिहास में।
उसी तरह दर्ज कर दें।
इतिहास में हमारी जगह, उसने ले रखी है
जिसकी इतिहास में कोई जगह नहीं है ?
तभी तो बार-बार इतिहास को
बदलने की बहस चलती रहती है।
एसा इतिहास बनाने की बात हो रही है।
जिसमेंं गुलामी की दास्तान ना हो।
क्योंकि आजकल जो बड़े-बड़े सरकारी।
विज्ञापन छापे जा रहे हैं।
उनमें गांधी जी कूड़ा उठा रहे हैं।
और कूड़े ऊपर अपनी शान दिखा रहे हैं।
शायद इतिहास ऐसे ही बनता है।
जो नहीं होता वही लिखा जाता है।
तभी तो उसे इतिहास कहा जाता है।
-डा.लाल रत्नाकर
कहां रखा गया है पता है ?
नहीं यह बात किसी को पता नहीं है।
क्योंकि इतिहास बनाने का अधिकार।
जिन्हें है उन्होंने हमें इसके काबिल
कभी नहीं समझा ?
फिर जो इतिहास में पढ़ रहे हैं,
वह किसका इतिहास है।
जो आजकल इतिहास गढ़ रहे हैं।
जी हां इतिहासकार जो देख रहे हैं।
जरूरी नहीं कि उसे इतिहास में।
उसी तरह दर्ज कर दें।
इतिहास में हमारी जगह, उसने ले रखी है
जिसकी इतिहास में कोई जगह नहीं है ?
तभी तो बार-बार इतिहास को
बदलने की बहस चलती रहती है।
एसा इतिहास बनाने की बात हो रही है।
जिसमेंं गुलामी की दास्तान ना हो।
क्योंकि आजकल जो बड़े-बड़े सरकारी।
विज्ञापन छापे जा रहे हैं।
उनमें गांधी जी कूड़ा उठा रहे हैं।
और कूड़े ऊपर अपनी शान दिखा रहे हैं।
शायद इतिहास ऐसे ही बनता है।
जो नहीं होता वही लिखा जाता है।
तभी तो उसे इतिहास कहा जाता है।
-डा.लाल रत्नाकर
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