शुक्रवार, 14 मई 2021

तुम्हारी बातें याद आती है


 

तुम्हारी बातें याद आती है
उन बातों पर विश्वास नहीं होता।
हमारा कभी भरोसा नहीं था बातों पर।
झूठ बोलते हुए यह भी बोल गए थे कि
मुझे किसी चौराहे पर खड़ा करके
जितने जूते चाहो मार लेना।
यह कैसा तुम्हारा संस्कार था।
जिस पर आवाम ने विश्वास किया।
और आपने कभी चौराहों पर आने की
हिम्मत तो दिखाई होती।
हजारों लाखों गरीबों की उम्मीदों का।
और विश्वास का गला काट लिया।
फिर आपने कहा मैं चौकीदार हूं।
लेकिन आपके सामने से ही सारे।
देश लूटने वाले भाग गए।
फिर उधर से आवाज आई ।
चौकीदार चोर है ।
आप ने सीना तान के स्वीकार किया।
यह कि चौकीदार चोर है।
फिर भी जनता ने आप का भरोसा किया
उस भरोसे के पीछे किसका हाथ था
क्योंकि आपके पास ईवीएम का साथ था
ईवीएम पर बहुत अविश्वास हुआ
लेकिन उसपर विश्वास में
बदलने में आप कामयाब नहीं हूए।
इलेक्शन कमिशन में उसकी जांच।
बिना छुए हुए करने की इजाजत दी।
दुनिया में कोई बता सकता है कि।
मशीनों के दर्शन से
उसकी खूबियों का अंदाजा
क्या लगाया जा सकता है।
मशीनों को भी मूर्तियों की तरह।
दर्शन मात्र से कल्याण हो जाएगा।
ऐसा विपक्षियों से कहकर।
उनकी हकीकत से हटा दिया।
दुनिया का कोई भी वैज्ञानिक।
यह मानने को तैयार नहीं है कि।
मानव निर्मित बनाई हुई मशीनें।
मैनेज नहीं की जा सकती।
ईवीएम का कंट्रोल।
बहुत ही आसान है ऐसा तमाम।
ईवीएम के जानकारों ने बताया है।
तभी तो इसे बनाने वाला देश।
अपने यहां का चुनाव ।
इन मशीनों से नहीं कराया है।

कोई टिप्पणी नहीं: