शुक्रवार, 11 जून 2021

तुम जहरीले हो गए हो।

 



वक्त के गहन अंधकार में
डूब गया आम आदमी।
खास आदमी भगवा धर कर
डर से भरा गया अंधकार में।
उसे यह नहीं पता।
यह अंधकार डरावना तो है
पर इस से कब तक डरोगे।
मेरे, पास मत आना मेरे ?
आवारा पागल कुत्ता तुम को
काट लिया है, जिसके जहर से,
भर गया है तुम्हारा पूरा शरीर।
तुम जहरीले हो गए हो।
कितने जहरीले हो यह नापना।
वक्त के थर्मामीटर से।
जरूरी हो गया है।
वक्त के अंधकार में डूब गया है
आम आदमी तुम्हारे अत्याचार से।
वेश बदल कर आए हो।
जहर का प्याला लाए हो।
पीयो एकबार इस जहर को।
डॉ.लाल रत्नाकर

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