बात उसकी नहीं है,
यह मैं कह रहा हूं हो सकता है गलत हो!
पर मुझे सही लगती है।
नफरत का पौधा बहुत बड़ा हो गया है,
उसके फल उसकी पत्तियां उसकी डालियां
यह मैं कह रहा हूं हो सकता है गलत हो!
पर मुझे सही लगती है।
नफरत का पौधा बहुत बड़ा हो गया है,
उसके फल उसकी पत्तियां उसकी डालियां
लोग खूब इस्तेमाल कर रहे हैं।
बिना विचार किए कि क्या यह
बिना विचार किए कि क्या यह
मेरे हित में है या अनहित में।
क्योंकि उस वृक्ष का नाम
क्योंकि उस वृक्ष का नाम
धर्म से जोड़ दिया गया है।
पड़ोसी के फलदार वृक्ष को
पड़ोसी के फलदार वृक्ष को
जहरीला बता रहा है।
जहरीले वृक्ष का लोगों को
जहरीले वृक्ष का लोगों को
अमृत पान कर रहा है।
यह मैं कह रहा हूं हो सकता है गलत हो!
पर मुझे सही लगती है।
यह मैं कह रहा हूं हो सकता है गलत हो!
पर मुझे सही लगती है।
-डा लाल रत्नाकर
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