रविवार, 1 अक्तूबर 2023

एक सूरज है,


एक सूरज है,
जो रोज चमकता है,
एक चांद है
जो रात में चमकता है
मगर एक कौम है,
जिसके खिलाफ
वह रोज नफरत भरता है,
कभी सड़क पर,
कभी घर में,
कभी संसद में,
ललकारता है।
एक सूरज है 
जो रोज चमकता है।

-डॉ लाल रत्नाकर
 

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