सोमवार, 18 दिसंबर 2023

हजार पांव भी हों तो


 हजार पांव भी हों तो
सफर कट नहीं सकता!
दो पांव से हम नापते हैं
दुनिया में अच्छे लोग।
हजारों बुरे लोग 
बिखरे हुए हैं चारों ओर!
निकलिए तो देखिएगा
नजारा खुली नजरों से
हर गांव शहर में बैठे हैं, 
मगरमच्छ के मानिंद!
डगर डगर पर लोग।
दांतों में जहर हो तो
वह और बात है।
सांसों में जहर का 
सैलाब वहां है।
आंखों में शर्म
बेशर्म की तरह कहां।
देखें जरा उन्हें।
जो दिखते हैं कहकहां!
चेहरे पर चेहरे ओढ़े हैं
वह यहां वहां !

-डॉ लाल रत्नाकर

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