रविवार, 28 अप्रैल 2024

जिनके सपनों में भारत

 जिनके सपनों में भारत 
और भारत के अपने थे।
आज उनके न होने की 
गहरी कशमकश भी तो है।
राजनीति के चरम पर 
परचम फहराकर। 
हारने की राजनीति में 
स्वच्छता और उम्मीद। 
आपके गहने थे, 
दूरदर्शिता इतनी की। 
आज के लिए वह हमेशा 
भविष्य से वह चिंतित थे।
दो गलतियों पर वह 
हमेशा प्रायश्चित करते! 
अमुमन जिन्हें वह 
हर आदमी जानता है।
जो उन्हें जानता है। 
आज जो राज कर रहे हैं 
उन्हें पता नहीं है। 
उनकी जड़ को 
पानी किसने दिया था। 
लेकिन जब वक्त आया 
तो इन्हीं बेवफा लोगों ने। 
उनकी जड़ को 
काटने का काम किया। 
वह कहा करते थे 
वह बहुत शातिर लोग हैं।
इनका संविधान में विश्वास नहीं है। 
यह भगवान को नहीं मानते 
पर भगवान के नाम पर। 
जनता को धोखा देते हैं। 
वह हमेशा भगवान के 
सच को बताया करते थे।
उनका कभी भी किसी भगवान में 
विश्वास नहीं रहा। 
वह कहा करते थे कहां भगवान है। 
अगर भगवान है तो इतने लोग 
गरीब कमजोर असहाय कैसे हैं। 
जिनके सपनों में बाबा साहब थे। 
ज्योतिबा फुले थे, पेरियार थे, बसवन्ना थे।
सावित्रीबाई फुले थी।
लोहिया, जे पी, चरण सिंह, जगदेव और कर्पूरी 
उनके संग संविधान और लोकतंत्र की मर्यादा थी 

-डॉ लाल रत्नाकर

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