शीर्ष पर बैठे हुए हो ?
क्या इसका तुमको भान है,
संज्ञान है पद प्रतिष्ठा का
या केवल अपना गुमान है।
अभिमान है ज्ञान का,
फिर अज्ञान का क्या मान है
ज्ञान और अज्ञान का
इतिहास है
उसको बदलकर बोलना,
जनता के धैर्य को तोलना,
असंतोष फैलाकर,
आग लगाकर
जब यही अभिप्राय है।
जिनको पता है
'बंच ऑफ थॉट' का
वही तुम्हारा प्रतिमान है।
यह कैसी शान है जो,
सर्वदा!
लोकतंत्र का अपमान है।
जब संविधान महान है।
-डॉ लाल रत्नाकर
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