वह विकास के मार्ग पर
विनाश परोस रहा है ।
और हम खुश हैं कि वह
धर्म की चासनी में अधर्म
मेरे दुश्मन के लिए बो रहा है।
अधर्म को स्वधर्म बनाने वाले
धर्म को हथियार बनाने वाले
हमें तुम्हारा इंतजार है।
क्योंकि वह अधर्म पर सवार है
जिसको विकास बता रहा है।
धर्म सभी का होता है
दूसरे का धर्म विधर्मी नहीं होता,
धर्म कभी जहर नहीं बोता।
सत्ता के लिए धर्म की सवारी
वह नहीं करता जो धार्मिक है।
यह साल भी गुजर जाएगा
सवाल यूं ही खड़ा रह जाएगा
क्योंकि उसकी आंखों पर चश्मा
काले शीशे का लगा हुआ है।
उसे कुछ भी नहीं दिख रहा है।
तुम्हारा नेतृत्व तुम्हें मुबारक
क्योंकि वह डरा डरा है।
जातीय, वर्गीय, सामाजिक
मूल्यों का नीलाम होना।
जो बाजार में चढ़ा हुआ है।
- डॉ लाल रत्नाकर
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