गुरुवार, 6 फ़रवरी 2025

छलावा!

 


छलावा!
स्वयं से, परिवार से,
समाज से, संस्कृति से, धर्म और
राजनीति से।
परंपरा और परिधान से, आचरण से, मन से, 
वतन से, सत्य और संविधान से ?
छलावा!

जीवन से, मृत्यु से, कर्म और अकर्म से।
आस्था से, प्रतीकों से, लोकाचार से, 
शब्दों के माध्यम से।
छलावा!

दृश्यावलोकन से, इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से, 
न्यूज़ चैनलों से, प्रकृति की गोंद से, आसमान से।
छलावा श्मशान से!
श्रद्धालुओं से, भक्तों से, गोबर भक्तों से, 
विवेक और चिंतन से, मन:स्थिति के मंथन से।
छलावा! 

दुनियावी सत्य से, मन की नीयती से,
देश की प्रगति से। 
छलावा!

-डा.लाल रत्नाकर

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