उसकी हजारों साल की मनोवृत्ति में,
सिर्फ नफरत और नफरत है।
बंधुत्व की विचार शून्यता है ,
बर्दाश्त करना उसकी खूबी जरूर है।
पर सहज नहीं उसे धकेला है
उसके लिए मुमकिन नहीं है
समाज को बराबरी के तल पर।
बर्दाश्त करना।
या विचार करना उसकी बराबरी के लिए
तभी तो हजारों साल से
वह नफरत के नासूर दिल में पाला है ।
इस सारे हालात के लिए -
क्या नहीं किया उसने गैर बराबरी के लिए
बहुजन समाज का नेता ज़िम्मेदार है ।
अन्यथा एक दिन में सब कुछ बदल देगा !
सब कुछ बदल लेगा !
-डॉ.लाल रत्नाकर

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