गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025

इतराने का भी कोई वक्त होता है।


इतराने का भी कोई वक्त होता है। 
मेरा यह सवाल कितना वाजिब है 
मैं नहीं जानता। 
यह विज्ञान का हमला है। 
विज्ञान का कमाल है। 
सामान्य समझ से ज्यादा। 
समझ का कायल है। 
थोड़े दिनों में सामान्य हो जाएगा। 
अभी तो थोड़ा जटिल है। 
देवी देवताओं को। 
मानने वालों के लिए आश्चर्य।
ए आई के युग में वह कितने पीछे हैं। 
अभी भी जूता उठा रहे हैं। 
दिल को आग लगा रहे हैं। 
न्याय से इतना घबरा रहे हैं।
-डॉ लाल रत्नाकर

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