गॉडसे अभी मरा नहीं है।
गली गली में
चाय की दुकानों पर चौराहों पर,
सीना तानकर खड़ा है।
गांधी के देश के,
सत्ता में आए लोग,
गोडसे की जय बोल रहे हैं।
उसकी मूर्तियां लगवा रहे हैं।
उस पर किताबें लिखवा रहे हैं।
गांधी को अब तो !
सिक्कों से भी हटा रहे हैं।
नोटों से हटाने की तैयारी कर चुके हैं।
गांधी को लेकर यह कहां जा रहे हैं।
किसी को नहीं बता रहे हैं ?
गोडसे को कहां-कहां लगाएंगे।
अभी यह साफ-साफ नहीं बता रहे हैं।
अभी तो केवल यह बता रहे हैं।
गोडसे अभी जिंदा है।
उसके लिए बड़े-बड़े मंदिर बना रहे हैं।
न्यायालय में हुड़दंग मचा रहा है।
अंबेडकर के लोगों को आंख दिख रहा है।
जूता उठा रहा है।
किस-किस पर चला रहा है।
क्या सत्ता में बैठे हुए लोगों को
दिखाई नहीं दे रहा है।
दिखाई दे रहा है।
उन्हें मजा आ रहा है।
गोदी मीडिया उसे बहुत ही
अभिमान से दिखा रहा है।
बुद्ध का ज्ञान!
बुद्ध का अभियान!
बुद्ध की शांति।
बुद्ध की दया, करूणा
इस सबको
निर्यात किया जा रहा है।
विदेशी मंचों से
गुणगान किया जा रहा है।
यहां पर गुंडो लफंगों को !
गोडसे बनाया जा रहा है।
जो घूम-घूम कर बस्ती बस्ती।
बलात्कार कर रहा है।
लिंचिंग कर रहा है।
बुलडोजर चला रहा है।
सबको पंगु बना रहा है।
क्योंकि गॉडसे अभी मरा नहीं है।
गॉडसे अभी जिंदा है।
गॉडसे तब तक नहीं मरेगा।
जब तक मनुस्मृति रहेगा।
बाबा साहब ने इसीलिए,
इसे जलाया था!
-डॉ.लाल रत्नाकर
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