बुधवार, 12 नवंबर 2025

आयोग अयोग्यता की पराकाष्ठा पर !


तुम्हारा जन्म ही दूषित तरीके से हुआ है 
"आयोग" अयोग्यता की पराकाष्ठा पर !
इतरा रहे हो शर्म देश को आ रही है !
तुम्हारे नाज़ायज़ बाप तुम्हें बेच रहे हैं !
"आयोग"अयोग्यता की पराकाष्ठा पर !

अंधों की तरह तुम बिक रहे हो आने पौने में !
तुमने बिहार को देखा ! वह बुद्ध की धरती है !
वहां झूठ बेईमानी, तानाशाही नहीं चलेगी !
"आयोग"अयोग्यता की पराकाष्ठा पर !

तुम्हारे जैसे अफसर मिल जरूर जाएंगे !
पर कितने कुछ तो ईमानदार होंगे ही !
गुजरात में भले ना हों क्योंकि ?
उनको जेल में डाल दिया गया है !
हो सकता है वह भूल गए हों कि वह !
संविधान की शपथ लेकर आये थे !
बेच दिया हो अपने वसूल कारपोरेट को !
"आयोग"अयोग्यता की पराकाष्ठा पर !

-डॉ० लाल रत्नाकर 


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