डॉ.लाल रत्नाकर
इनकी अक्ल को छछूंदर छू गया है,साप डस गया है, अपने पापों से बढकर,
दौलत की तम्मना ने न जाने कहाँ से ,
इस आदमी को मौका दिया है.लूटने को.
करीबियों से गरीबों से
न जाने कितनी दौलत लूटा होगा ,
पर इसका पेट नहीं भरता,
न बेटी है न औलादें है कहीं इसकी
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