शुक्रवार, 28 जनवरी 2011

अच्छे कम और ...................

डॉ.लाल रत्नाकर


ये वो जगह है जहाँ अच्छे कम
बुरे ज्यादा मिलते हैं
पर यदि इन बुरों से बात करो तो ये
बताते हैं की इनके साथ जो भी हैं
वो अच्छे हैं
पर उनकी अच्छाईयाँ क्या हैं
यह बहुत मजेदार है
उनका मानना है बुराई को बुराई की तरह
मत देखो ?
क्योंकि बुराई को बुराई कहना भले लोगों का
काम नहीं है !
आम आदमी की दृष्टि में जो बुराई है
खास आदमी के लिए उसके कोई मायने
नहीं है !
खास का का मतलब काम स्वार्थ सिद्धि और
उसका दुराचार सहने के सिवा उसकी बुराईयों
पर नज़र डालना ही 'अपराध' है .
भ्रष्टाचार जहाँ शिष्टाचार है.
वहाँ आदमी का मायने केवल और केवल
हथियार है , हथियार का इस्तेमाल इनसे अधिक और
कोई नहीं जानता .
ये वो जगह है जहाँ अच्छे कम और
बुरों की भरमार है .

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