डॉ.लाल रत्नाकर
पत्रकारों
अपनी विरादरी के
एक पत्रकार को पीट डाला
क्यों ?
क्यों कि वह ‘यादव जाति’ का था
यादव होकर जो घुस आया
और ‘द्विवेदी’ पर
जूता फेंकने की हिम्मत की!
क्योंकि जूते फेंकने का हक
तो द्विवेदी जी के पास ही सुरक्षित है।
भला हो उन पत्रकारों का
जिन्होंने यादव जी को पकड़कर
जुतियाया !
समझे यादव जी
आपको जुतियाया यह जूता चलाना
इसलिए नहीं हुआ क्योंकि
पहले जूता आपने उठाया था,
यादव जी को यहां सजा मिलनी ही
चहिये इसीलिए उन्हें
न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।
वाह!
क्या न्याय किया है द्विवेदी जी के
स्वजातियों ने और पुलिस कर्मियों ने
एसा ही न्याय करने का संकल्प
यादव जी ने भी लिया था क्योंकि
रामदेव जी पर अत्याचार किया था
‘कान्ग्रेसियों’ ने
और द्विवेदी जी प्रेस कांन्फ्रेस करके
यादव जी के स्वजातीय बाबा को
सरकारी गालियां सुनाने के लिए
आहूत की थी प्रेस कांन्फ्रेस
जिसे यादव जी स्वीकार नहीं कर पा
रहे थे।
यह पत्रकारों को नजर क्यों नहीं आ
रहा था!
वाह क्या न्याय है यादवों को लगे हाथ
सजा!
औरों के सजा याफ्ता भी रिहा।
द्विवेदी की हुंकार में ‘बाबा’ की हत्या!
साफ साफ तौर पर नजर आ रही थी !
यह पत्रकारों को नजर
क्यों नहीं आ रहा है!
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